*
शहर में चुपचाप बारिश
काँच पर
रह-रह बरसती है
कि जैसे
दर्द पीकर
ज़िंदगी
सपने निरखती है।
गुरुवार, 17 दिसंबर 2009
बुधवार, 16 दिसंबर 2009
मंगलवार, 1 दिसंबर 2009
नीलाभ नभ गहरा गया
सोमवार, 30 नवंबर 2009
गुरुवार, 26 नवंबर 2009
गुरुवार, 19 नवंबर 2009
सदस्यता लें
संदेश (Atom)