एक आँगन धूप
कुछ ऐसी क्षणिकाएँ जो गीत तक नहीं पहुँचीं
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शुक्रवार चौपाल
मंगलवार, 28 दिसंबर 2010
चाँद और सन्नाटा
सन्नाटा सीने में
कोई चाँद उगाता है
आवाजों का
लौट के आना
होता नहीं कभी
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