एक आँगन धूप
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शुक्रवार चौपाल
बुधवार, 16 दिसंबर 2009
वह हवा
*
कुछ तो था उस हवा में जो
झूम कर
उठकर चली थी
इस शहर भर घाम में
वह एक
मिश्री की डली थी
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