एक आँगन धूप
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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009
घटा
*
घटा, तो फिर घटा थी
दूब चुनरी, झाँझ बिजली
फूल-सी मुस्कान
और
आशीष रिमझिम
1 टिप्पणी:
कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान
25 दिसंबर 2009 को 11:21 pm बजे
poornima ji
bahut sundar prayog hai badhai.
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poornima ji
जवाब देंहटाएंbahut sundar prayog hai badhai.