एक आँगन धूप
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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009
बाढ़
राम जी,
बाढ़ ने इस तरह घेरा
घर गया, अपने गए,
सपने गए
हर तरफ़ से दर्द बरसा
गया डेरा
1 टिप्पणी:
कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान
25 दिसंबर 2009 को 11:19 pm बजे
dard ko vyapak roop me vayan kiya hi ,achcha laga.
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