एक आँगन धूप
कुछ ऐसी क्षणिकाएँ जो गीत तक नहीं पहुँचीं
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शुक्रवार चौपाल
गुरुवार, 19 नवंबर 2009
मुँडेर पर गुलमोहर
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फिर मुँडेरों पर झुकी
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गुलमोहर की बाँह
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फिर हँसी है छाँह
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फिर हुई गुस्सा सभी पर धूप
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क्या परवाह
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