एक आँगन धूप
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शुक्रवार, 8 जनवरी 2010
सर्द रात में
*
दूर तक
कोहरे जड़े थे पेड़, रस्ते
और हम तुम
झर रही थी ओस मद्धम
कुछ अलावों में
कहीं सुगबुग बची थी।
1 टिप्पणी:
संजय भास्कर
12 जनवरी 2010 को 10:04 am बजे
बहुत ही बढ़िया
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