मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

नीलाभ नभ गहरा गया

*
किस अगन से था बुझा वह तीर
जो आकाश से गुज़रा
हवा से जूझ कर बिखरा
लड़ा वह बिजलियों से
बादलों से वह भिड़ा
देखते ही देखते
नीलाभ नभ गहरा गया
लो - ग्रीष्म का पहरा गया

1 टिप्पणी: