गुरुवार, 26 नवंबर 2009

मरकत सा शहर

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कोई
मरकत सा शहर
सुनसान है अब
चिमनियों में आग-
ना किलकारियाँ बारामदों में
ताल खाली
आसमां चुपचाप है अब

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