गुरुवार, 14 जनवरी 2010

चाय गुमटी

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सड़क है, शोर भी है
और बारिश साथ चलती है
हवा है साँस में नम सी
खुली छतरी
हाथ की बंद मुट्ठी में
और लो !
आ गई गुमटी चाय की।

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